जीवनी/आत्मकथा >> कलम का मजदूर: प्रेमचंद कलम का मजदूर: प्रेमचंदमदन गोपाल
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प्रेमचन्द के जीवन और लेखन-संघर्ष को पूर्णतः नए आयामों में परिभाषित करनेवाली यह एक ऐसी पुस्तक है जिसकी भूमिका सदैव बनी रहेगी।
‘क़लम का मज़दूर: प्रेमचन्द’ हिन्दी में प्रेमचन्द की पहली प्रामाणिक और मुकम्मिल जीवनी है। इसमें प्रेमचन्द की कृतियों के जीवन्त ऐतिहासिक सन्दर्भ और सामाजिक परिवेश प्रस्तुत किए गए हैं। यह हिन्दी की एकमात्र ऐसी पुस्तक भी है जिसमें प्रेमचन्द का वास्तविक व्यक्तित्व उभर कर पाठकों के सामने आया है। प्रेमचन्द के जीवन और लेखन-संघर्ष को पूर्णतः नए आयामों में परिभाषित करनेवाली यह एक ऐसी पुस्तक है जिसकी भूमिका सदैव बनी रहेगी। यह पुस्तक प्रेमचन्द के बहाने प्रेमचन्द-युग की भी एक बहुमूल्य दस्तावेज़ है। ‘क़लम का मजदूर: प्रेमचन्द’ पुस्तक में समस्त उपलब्ध सामग्रियों का उपयोग हुआ है और प्रेमचन्द की चिट्ठी-पत्रों से भी इसके लिए तथ्य बटोरे गए हैं। पुस्तक के लेखक मदन गोपाल ने प्रेमचन्द से सरोकार रखनेवाले शताधिक लोगों से स्वयं भेंट कर दुर्लभ एवं अनुपलब्ध सामग्री की खोज की और इस खोज के परिणामस्वरूप हिन्दी के जीवनी-साहित्य में यह पुस्तक अपना विशिष्ट स्थान बना सकी। मदन गोपाल के लेखन में प्रेमचन्द जैसी ही सादगी है। बिना किसी शैली-विन्यास और अलंकरण के इस पुस्तक का शृंगार उन्होंने अनजाने, अनछुए प्रसंगों और तथ्यों से किया है। ये प्रसंग और तथ्य ही इस पुस्तक को कालजयी बनाने के लिए काफ़ी है।
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